जय बाबे री सा
रामदेवरा में प्रतिवर्ष भादवा सुदी दूज से भादवा सुदी एकादशी तक एक विशाल मेला भरता हैं. यह मेला दूज को मंगला आरती के साथ ही शुरू होता हैं. सांप्रदायिक सदभाव के प्रतीक इस मेले में शामिल होने व मन्नतें मांगने के लिए राजस्थान ही नहीं गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा,मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालुजन पहुंचते है.
कोई पैदल तो कोई यातायात के वाहनों के माध्यम से रामदेवरा पहुंचता है. रुणिचा पहुंचते ही वहा की छठा अनुपम लगती है. मेले के दिनों में "रुणिचा" नई नगरी बन जाता हैं. मेले के अवसर पर जम्में जागरण आयोजित होते हैं तथा भंडारों की भी व्यवस्था होती हैं.
मेले में कई किलोमीटर लम्बी कतारों में लग कर भक्तजन बाबा के जय-जयकार करते हुए दर्शन हेतु आगे बढ़ते हैं. इस मेले के अवसर पर पंचायत समिति एवं राज्य सरकार पूर्ण व्यवस्था करने में जुटी रहती हैं.
इस मेले के अतिरिक्त माघ माह में भी मेला भरता हैं. उसे "माघ मेला" कहा जाता है. जो लोग भादवा मेले की भयंकर भीड़ से ऊब जाते हैं वे "माघ मेले" में अवश्य शामिल होते है तथा मंदिर में श्रद्धाभिभुत होकर धोक लगाते है.
मेले का द्रश्य लुभावना, मनभावन, मनमोहक एवं सदभाव और भाईचारे का प्रतीक सा सभी को अनुभव होता है. सभी यात्रियों के मुख से एक ही संबोधन "जय बाबे री" निकलता प्रतित होता है.....http://www.meghwalsamaj.com