मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो (Meghwal Samaj Marriage Bureau)
मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो की स्थापना 2014 की विवाह नामित पवित्र संस्था में पवित्र विश्वास को मजबूत बनाने में स्वर्गीय श्री पन्नालाल जी कटारिया मेघवाल 2014 में मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो की स्थापना की. उनकी पत्नि श्रीमती मांगी देवी जो एक हाउस वाइफ है उनके पुत्रो द्वारा एक गहरी सोच और सामाजिक कार्यकर्त्ता समझ के अधिकारी है मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो में एक व्यापक नेटवर्क है और कारण उसकी क्षमताओं को एक बड़ा रूप में माना जाता है मेघवाल समाज के उत्थान के लिए अपने कौशल के साथ अपने सामाजिक व्यक्तित्व मिश्रण करने के लिए है. इसके अलावा, श्रीपन्नालाल जी कटारिया भी एक समाज सेवी भी है जो हर समय तैयार रहते है हर जगह अपनी नि: शुल्क सेवाएं देने में पीछे नही रहते है....
मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो अपने समाज बच्चों के लिए उपयुक्त दुल्हन और दूल्हे खोजने के लिए पूरे मेघवाल समाज के लिए एक मंच प्रदान करने का एक महान उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था. सामाजिक संबंधों में कम हो रही है और हर कोई किसी के अपने कामकाज तक सीमित है जब इस परमाणु दुनिया में, जय श्री मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो आशा की एक किरण की गई है और राजस्थान में मेघवाल समाज के सैकड़ों और आसपास के क्षेत्रों के लिए दुल्हन और दूल्हे खोज के लिए एक अच्छा मंच प्रदान किया है.
मेघवंश समुदाय
एक बहुत ही कम अवधि में, हम बिलाड़ा, जोधपुर, राजस्थान से मेघवाल समाज लोगों के जीवन को छुआ है कि एक प्रसिद्ध सेवा बनाया है. मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो के माध्यम से अपने मापदंड के अनुसार सही जीवन साथी बैठक की संभावना अधिक है. हमारी टीम परम साथी के साथ प्रदान करने के उद्देश्य से, मेहनती लोगों के शामिल हैं. हमारे द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं में शामिल मैच मेकिंग, कुंडली, ऑफलाइन और इवेंट मैनेजमेंट, स्वस्थ शादी प्रथाओं और दूसरों के मामले में ऑनलाइन प्रोफाइल सुविधाओं, विवाह परामर्श. हमारी सेवा की ताकत की एक सूचना को गोपनीय रखा जाता है और गोपनीयता को बनाए रखा है
हमारे उद्देश्य, मेघवाल समाज
हम किसी भी अन्य वैवाहिक सेवाओं से जय श्री मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो लड़कों और लड़कियों का एक विशाल डाटा बेस. हमारे डेटा बेस कुंडली के साथ पंजीकृत नवीनतम शादी के प्रस्ताव शामिल हैं. पेशेवर इंटरनेट और वेब सेवाओं, उच्च तकनीक और के युग में जय श्री मेघवाल समाज मैरिज ब्यूरो दुनिया भर में लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है जो सेवा ऑनलाइन की पेशकश के द्वारा आप के लिए काम आसान बनाता है चलाते हैं. बस अपने जीवन साथी के लिए शिकार के क्षेत्र में नए अनुभव की एक दुनिया के लिए http://meghwalsamaj.com/marriage-beuro.html
meghwalsamaj.com/marriage-beuro.html
क्लिक करें. साइट तुम से पहले लड़के और शादी की उम्र की लड़कियों के विवरण के साथ एक अद्वितीय डेटा बेस के अनावरण करेंगे. इस सेवा के व्यस्त कार्यक्रम और विशेष रूप से समय की एक संक्षिप्त अवधि के भीतर एक उपयुक्त मैच खोजने के लिए चाहते हैं, जो एनआरआई माता - पिता और लड़कों और लड़कियों के लिए लोगों के लिए एक वरदान है. हमारी सफलता की दर जोड़े और हमारी सेवा का उपयोग किया है, जो माता - पिता की खुशी से मापा जा सकता है.
संस्थापक
रामस्नेही कटारिया परिवार बिलाड़ा जोधपुर, राजस्थान
स्वर्गीय श्री पन्नालाल जी कटारिया 24-October-2016
स्वर्गीय श्री हरि राम जी कटारिया 16-November-202
संत श्री गोपालाचार्य जी कटारिया (प्राध्यापक )
श्री प्रताप राम जी कटारिया प्राध्यापक (प्रमुख लेखक)
मेघवंश इतिहास
मेघवंश इतिहास (meghwansh history)
संसार में सभ्यता के सूत्रधार स्वरूप वस्त्र निर्माण की शुरू आत भगवान मेघ की प्रेरणा से स्वयं भगवान शिव द्वारा ऋषि मेघ (मेघ ऋषि )के जरिये कपास का बिजारोपण करवाकर कपास की खेती विकसित करवाई गयी थी. जो समस्त विश्व की सभ्यताओं के विकास का आधार बना. समस्त उत्तर-पश्चिमी भूभाग पर मेघऋषि के अनुयायियों एवं वंशजों का साम्राज्य था. जिसमें लोगों का प्रजातांत्रिक तरीके से विकास हुआ था जहां पर मानवमात्र एकसमान था. लेकिन भारत में कई विदेशी कबीले आये जिनमें आर्य भी एक थे, उन्होंने अपनी चतुराई एवं बाहुबल से इन बसे हुये लोगों को खंडित कर दिया
सम्पूर्ण भारत में बिखर जाने लिये विवस कर दिया. चूंकि आर्य समुदाय शासक के रूप में एवं सभी संसाधनों के स्वामी के रूप में यहां स्थापित हो चुके थे उन्होंने अपने वर्णाश्रम एवं ब्राह्मणी संस्कृति को यहां थोप दिया था. ऐसी हालत में उनसे हारे हुये मेघऋषि के वंशजों को आर्यों द्वारा नीचा दर्जा दिया गया. जिसमें आज के वर्तमान के सभी आदिवासी, दलित एवं पिछडे लोग शामिल थे
भारत में स्थापित आर्य सभ्यता वालों ने यहां पर अपने अनुकुल धर्म, परमपरायें एवं नियम, रिवाज आदि कायम कर दिये थे जिनमें श्रम सम्बन्धि कठिन काम पूर्व में बसे हुये लोगों पर थोपकर उनसे निम्नता का व्यवहार किया जाना शुरू कर दिया था तथा उन्हें पुराने काल के राक्षस, नाग, असुर, अनार्य, दैत्य आदि कहकर उनकी छवि को खराब किया गया. इन समूहों के राजाओं के धर्म को अधर्म कहा गया था. इस प्रकार इतिहास के अंशों को देखकर मेघऋषि के वंशजों को अपना गौरवशाली अतीत पर गौरवान्वित होना चाहिये तथा वर्तमान व्यवस्था में ब्राह्मणवादी संस्कृति के थोपी हुई मान्यताओं को नकारते हुये कलियुग में भगवान रामदेव एवं बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के बताये आदर्शों पर अमल करते हुये अपने अधिकार प्राप्त करने चाहिये.
समाज में मेघवंश को सबल बनाने के लिये स्वामी गोकुलदासजी महाराज, गरीबदास जी महाराज जैसे संत हुये हैं जिन्होंने मेघवाल समाज के गौरव को भारत के प्राचीन ग्रंथों से समाज की उत्पत्ति एवं विकास का स्वरूप उजागर कर हमें हमारा गौरवशाली अतीत बताया है. तथा हमें निम्नता एवं कुरीतियों का त्याग कर सत कर्मों की ओर बड़ने का मार्ग दिखाया है.
मेघवंश इतिहास :- मेघजाति की उत्पत्ति एवं निकास की खोज स्वामी गोकुलदासजी महाराज डूमाडा (अजमेर) ने अपनी खोज एवं लेखन के जरिये मेघवाल समाज की सेवा में प्रस्तुत की है जो इस प्रकार है; सृष्टि के आदि में श्रीनारायण के नाभिकमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा ने सृष्टि रचाने की इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सन्तकुमार इन चार ऋषियों को उत्पन्न किया लेकिन ये चारों नैष्टिक ब्रह्मचारी रहे फिर ब्रह्मा ने दस मानसी पुत्रों को उत्पन्न किया. मरीचि, अत्रि अंगिरा, पुलस्त्व, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिष्ट, दक्ष, और नारद. ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो खण्ड करके दाहिने भाग से स्वायम्भुव मनु (पुरूष) और बाम भाग से स्तरूपा (स्त्री) को उत्पन्न करके मैथुनी सृष्टि आरम्भ की. स्वायम्भु मनु स्तरुपा से 2 पुत्र - उत्तानपाद और प्रियव्रत तथा 3 कन्याऐं आकुति, प्रसूति, देवहूति उत्पन्न हुई. स्वायम्भु मनु की पुत्री आकुति का विवाह रूचिनाम ऋषि से, प्रसूति का दक्ष प्रजापति से और देवहुति का कर्दम ऋषि से कर दिया. कर्दम ऋषि के कपिल मुनि पैदा हुये जिन्होंने सांख्य शास्त्र बनाया. कर्दम ऋषि के 9 कन्याऐं हुई जिनका विवाह: कला का मरीचि से, अनुसूया का अत्रि से, श्रद्धा का अंगिरा ऋषि से, हवि का पुलस्त्य ऋषि से, गति का पुलह से, योग का क्रतु से, ख्याति का भृगु से, अरुन्धति का वशिष्ट से और शांति का अर्थवन से कर दिया. ब्रह्माजी के पुत्र वशिष्ट ऋषि की अरुन्धति नामक स्त्री से मेघ, शक्ति आदि 100 पुत्र उत्पन्न हुये. इस प्रकार ब्रह्माजी के पौत्र मेघ ऋषि से मेघवंश चला. वशिष्ट ऋषि का वंश सूर्यवंश माना जाता है. ब्रह्माजी के जिन दस मानसी पुत्रों का वर्णन पीछे किया गया है उन ऋषियों से उन्हीं के नामानुसार गौत्र चालू हुये जो अब तक चले आ रहे हैं. ब्रह्माजी के ये पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र ही गुण कर्मानुसार चारों वर्णों में विभाजित हुये|